छाती ठोक के केहता हु की मेरा देश महान है
बस कपड़े के बने तिरंगे में अमर प्राण है ।
छाती ठोक के केहता हु की मेरा देश महान है
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मौका अच्छा पाकर दुश्मन घुस आया घर के अन्दर
आया था सपने में की कश्मीर लेकर जायेगा
लौट के अपने मुल्क में वापिस इज्ज़त बहुत कमाएगा
बेचारे की किश्मत देखो कुदरत के क्या खेल किया
उसको ज़रा दिखाके लालच शेर के घर में भेज दिया
भूल गया था नादा की भारत में वीर जवान है
छाती ठोक के केहता हु की मेरा देश महान है।।
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सौरभ* और उसके साथी कर गए एक अनोखा काम
वोह ना कभी भी मिट सकते, हो गए अमर है उनके नाम
हस्ते हस्ते उन वीरो ने अकल्पनीय सा दर्द सहा
टुकड़े टुकड़े होने पर भी मुह से होगा उफ़ न कहा
मर जाना पर कभी न झुकना यही हमारी शान है
छाती ठोक के केहता हु की मेरा देश महान है
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माँ के ऊपर बन आई तो सबकी भोहे तन गयी
पर घुसपैठी दुश्मन की तो जान पर थी बन गयी
घर वालो का मोह न देखा, चल दिए सीमा पर जवान
हर देश में थोड़े हीरे होंगे, भारत है हीरो की खान
हम पर यु मिट जाने वाले, क्या यह ही भगवान् है ?
छाती ठोक के केहता हु की मेरा देश महान है ।
छाती ठोक के केहता हु की मेरा देश महान है ।।
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* This is the refered to Lt. Saurabh Kalia, who with his team was abducted from the border and later there multilated bodies were returned to India from Pakistan.